Budget 2022: बजट में Electric Vehicle का खासा ध्यान रखेगी सरकार | लोगों को मिल सकती है छूट | आगामी बजट से इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को हैं काफी उम्मीदें



Budget Expectations 2022 , 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त बजट पेश होने वाला है। जिसको लेकर इलेक्ट्रिक उद्योग काफी उत्साहित है। उद्योग को भरोसा है कि इस साल आने वाले बजट में कई बड़े ऐलान हो सकते हैं जिससे इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।

 

सरकार बढ़ा सकती है सब्सिडी

 

मौजूदा समय में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार FAME-2 योजना के तहत इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद पर भारी सब्सिडी देती है|

ये बैटरी क्षमता के हिसाब से 15,000 रुपये /kWh की दर पर दी जाती है. इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के लिए इसकी अधिकतम लिमिट भी अब लागत के 20 से 40 फीसदी की है|

माना जा रहा है कि ऐसे में सरकार इस सब्सिडी को जारी रखने के साथ-साथ इस राशि को बजट में थोड़ा और बढ़ा सकती है, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद ज्यादा से ज्यादा बढ़े| इसी तरह सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल का बिजनेस आसान करने के लिए दूसरी अहम घोषणा कर सकती है|

 

कोरोना से चरमाई अर्थव्यस्था के बीच अहम होगा बजट

 

भारत सहित पूरी दुनिया लंबे समय से कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से प्रभावित है|

इससे अर्थव्यस्था को बुरा झटका लगा है , ऐसे में ये आम बजट लोगों के लिए काफी राहत भरा हो सकता है | लगभग सभी सेक्टर से जुड़े लोग सरकार से राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं|

पिछले बजट में सरकार का फोकस हेल्थ और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास था , हालांकि अबकी बार जनता के लिए बजट कैसा होगा इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा|

 

लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मिले बढ़ावा

 

Zypp इलेक्ट्रिक के सह-संस्थापक और सीईओ आकाश गुप्ता ने कहा कि भारत में इस समय ईवी का दौर है।

इस साल 2022 में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और एडवांस ईवी मॉडल के तेजी से विकास के बाद और बढ़ावा मिलेगा।

हमें उम्मीद है कि इस साल आने वाले बजट में सरकार लोकल इलेक्ट्रिक व्हीकल के मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणा कर सकती हैं, जिससे लोकल ईवी निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके।

 

 पेट्रोल-डीजल की तरह इलेक्ट्रिक वाहन भी स्‍क्रैप होंगे ?

 

टैक्स में छूट

 

ग्रेटा इलेक्ट्रिक स्कूटर के फाउंडर राज मेहता का मानना है कि 2070 तक शून्य उत्सर्जन को सुनिश्चित करने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में ईवी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

मेहता को उम्मीद है कि आगामी बजट में ईवी सेक्टर को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। 

ऐसे में ईवी सेक्टर पर कर में छूट, सब्सिडी आदि की घोषणा की उम्मीद है। इसके अलावा ऑटो कम्पोनेन्ट निर्माताओं को भी प्रोत्साहन देना होगा, ताकि ईवी सेक्टर में कम्पोनेन्ट्स और पार्ट्स की उपलब्धता आसान बनाई जा सके। साथ ही उत्पादन में लगने वाले समय और लागत को कम कर ईवी अडॉप्शन को बढ़ाया जा सके।

एक्सपोनेंट एनर्जी के सह-संस्थापक और सीईओ अरुण विनायक का मानना है कि सरकार ने अब तक भारत में ईवी इकोसिस्टम का समर्थन करने का एक शानदार काम किया है। हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिसपर सरकार आने वाले बजट पर बड़ा फैसला ले सकती है जैसे- टैक्स में छूट,इस समय ईवी पर 5 फीसद टैक्स लगता है, वहीं सिर्फ बैटरी पर 18 फीसद का टैक्स लगता है। 

सरकार ने ली-आयन के लोकल प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत की है, लेकिन अभी इसे सही तरह से तैयार होने में कम से कम 3 से 5 साल लगेंगे। इसके अलावा अगर ली-आयन सेल पर आयात शुल्क में छूट मिले तो, ईवी स्टार्टअप्स कंपनियों और उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए बहुत लाभ होगा।

 

जगह- जगह बने चार्जिंग स्टेशन

 

ट्रौव मोटर के संस्थापक और सी-ई-ओ अरुण सनी के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग बुनियादी ढांचे पर ज्यादा जोर देना चाहिए, जैसे कि हर एक 3 किलोमीटर की रेंज पर चार्जिंग स्टेशन होना और हाईवे पर हर 20 किलोमीटर के अंदर चार्जिंग स्टेशन स्थापित होना है। इन चार्जिंग प्वाइंट पर बैटरी स्वाइपिंग की भी सुविधा होनी चाहिए।

 

चार्जिंग इंफ्रास्टचर फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल

 

समान नीति की जरुरत

 

HOP इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सी-ई-ओ और संस्थापक केतन मेहता का कहना है कि कई साल पहले भारत सरकार (GOI) ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन (FAME II) के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग जैसी नीतियों और विनियमों की घोषणा की थी, जो मार्च 2022 में समाप्त होने वाला था, लेकिन सरकार ने इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए इसे 2024 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, अभी भी इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक समान नीति की आवश्यकता है। ताकि ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यवसायों के लिए अपने पदचिह्न का विस्तार करना आसान हो जाए।

 

फंडिंग विकल्पों की जरुरत

 

रेवफिन सर्विसेज के संस्थापक और सी-ई-ओ को लगता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में उच्च लागत और वित्तपोषण विकल्पों की कमी एक चिंता का विषय है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड पहले की तुलना में बढ़ती जा रही है। वहीं सरकार इस सेक्टर को अपना पूर्ण समर्थन दे रही है, जिससे इंडस्ट्री को ग्रोथ भी देखने को मिली है। लेकिन अभी फंडिंग ऑप्शन की कमी सबसे बड़ा चैलेंज बनकर खड़ा है।

 

इलेक्ट्रिक कारों का प्रतिपालन

 

सरकार कर सकती है अहम घोषणा

 

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद बढ़े और लोगों तक इसकी पहुंच आसान हो, इसके लिए सरकार इसकी लागत घटाने जैसा अहम ऐलान भी कर सकती है| इसले लिए इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए कच्चे माल से जुड़ी वस्तुओं पर जीएसटी की दरें भी कम की जा सकती है| मालूम हो कि केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में बैटरी, सेमीकंडक्टर और ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम भी लॉन्च की है, जिसका लाभ आखिर में ग्राहकों को इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते होने के रूप में मिलेगा |

 
 
 
 

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